May 25, 2015
एक नए अध्ययन के मुताबिक, मांग और पूर्ति के असंतुलन के चलते आज से 10 साल बाद वर्ष 2025 में भारत पानी की भारी किल्लत से जूझेगा। माना जा रहा है कि वाटर सेक्टर अगले कुछ वर्षों में विदेशी निवेश के जरिए करीब 13 अरब डॉलर का निवेश होगा।
अध्ययन के मुताबिक, अगले कुछ वर्षों में भारत में पानी की मांग वर्तमान में आपूर्ति के उपलब्ध सभी स्रोतों से कहीं ज्यादा हो जाएगी और 2025 तक भारत पानी की भारी कमी से जूझेगा।
पानी के क्षेत्र की अग्रणी सलाहकार कंपनी ईए वाटर की ओर से कराए गए अध्ययन के मुताबिक, ‘परिवारों की आय तथा सेवा और औद्योगिक क्षेत्र के योगदान में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप औद्योगिक और घरेलू क्षेत्र में पानी की मांग में बेतहाशा वृद्धि होगी।
एक नए अध्ययन के मुताबिक, मांग और पूर्ति के असंतुलन के चलते आज से 10 साल बाद वर्ष 2025 में भारत पानी की भारी किल्लत से जूझेगा। माना जा रहा है कि वाटर सेक्टर अगले कुछ वर्षों में विदेशी निवेश के जरिए करीब 13 अरब डॉलर का निवेश होगा।
अध्ययन के मुताबिक, अगले कुछ वर्षों में भारत में पानी की मांग वर्तमान में आपूर्ति के उपलब्ध सभी स्रोतों से कहीं ज्यादा हो जाएगी और 2025 तक भारत पानी की भारी कमी से जूझेगा।
पानी के क्षेत्र की अग्रणी सलाहकार कंपनी ईए वाटर की ओर से कराए गए अध्ययन के मुताबिक, ‘परिवारों की आय तथा सेवा और औद्योगिक क्षेत्र के योगदान में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप औद्योगिक और घरेलू क्षेत्र में पानी की मांग में बेतहाशा वृद्धि होगी।
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